कैसे होती है मां महालक्ष्मी की उपासना शुक्रवार को देवी उपासना की जाती है। इसी क्रम आज जानते हैं माता के महालक्ष्मी रूप की पूजा के बारे में। मां लक्ष्मी का स्वरूप हैं माता महालक्ष्मी माता लक्ष्मी का ही एक रूप हैं। वैसे तो प्रत्येक शुक्रवार को देवी की पूजा की जाती है, परंतु माता के महालक्ष्मी स्वरूप की पूजा के लिए हिंदू धर्म में कुछ विशेष अवधि होती है। कहते हैं कि देवशयनी एकादशी के बाद जब भगवान विष्णु चार माह के लिये विश्राम पर चले जाते हैं, तो इस दौरान माता लक्ष्मी ही पूरा संसार चलाती है। इसी अवधि में भाद्रपद शुक्ल अष्टमी से लेकर आश्विन कृष्ण अष्टमी तक वे धरती पर निवास करती हैं। इन 16 दिनों में माता महालक्ष्मी की पूजा होती है। पूजा का आरंभ में हल्दी से रंगे 16 गांठ का रक्षासूत्र को हाथ में बांधना होता है, और आखिरी दिन की पूजा के बाद इसे किसी नदी या सरोवर में विसर्जित कर दिया जाता है। 16वें दिन इस पूजा का उद्यापन किया जाता है। ऐसे में करें महालक्ष्मी पूजा मां महालक्ष्मी की पूजा के लिए पहले पवित्र मिट्टी की मूर्ति चौक पर स्थापित करें...
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